बाबा भोले शाह के दरगाह से हर धर्म के लोगों की जुड़ी है आस्था
सलेमपुर। मझौलीराज स्थित बाबा भोला शाह का मजार पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। यह ऐसा मजार है जिस पर हर धर्म के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। यह मजार सर्व धर्म संभाव के मिशाल को कायम करते हुए सामाजिक समरसता को कायम करता है। यहां आने वाले हर जरूरत मंदों की मुराद पूरी होती है।
मझौली राज नगर पंचायत के जुम्मा मोहल्ला वार्ड निवासी बाबा भोले शाह कभी अपने फक्कड़ स्वभाव के लिए जाने जाने जाते थे। इन्होंने अपने पूरे जीवन पर्यंत समाज की भलाई में लगे रहे। 5 जनवरी 2001 को उनका इंतकाल हो गया। जिसके बाद उन्हें दफनाकर 8 जनवरी 2001 को चादर पोशी किया गया। देश के विभिन्न प्रदेशों के लोगों में उनके प्रति इतना आस्था था कि कुछ ही दिन में जहां उनको दफनाया गया उस जगह पर भव्य मजार का निर्माण करा दिया गया। जिस भवन में हर धर्म के शुभ माने जाने वाले चिन्नू को अंकित किया गया है इस मजार पर गौर किया जाए तो सिख धर्म का सिंबल, उसके नीचे हिंदू धर्म का कलस के साथ सनातन धर्म का सिंबल लगा हुआ है। बाबा भोले शाह के दरगाह पर उनके याद में हर साल 8 जनवरी को चादरपोशी किया जाता है। जिसमें विभिन्न प्रदेशों के अनुआई भाग लेते हैं।
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यहां के मुख्य व्यवस्थापक अलीमुद्दीन खां बाबू सरकार बताते हैं कि मजार के सिखर पर सभी धर्मो का प्रतीक चिन्ह बनाया गया है। जो सभी धर्मो के सम्मान का द्योतक है। जिसमें सनातन धर्म का कलश‚ जैन धर्म का बक्र‚ इसाई धर्म का क्रास व सिख धर्म का कृपाण सुशोभित हो रहा है। मेले में सभी धर्मा के लोग शामिल होते हैं। बहुत लोग तो उर्स लगने से कुछ महीने पहले से ही डेरा डाल देते हैं तथा यहां मुफ्त लंगर की व्यवस्था बारहों मास चलती है। हर साल चादरपोशी व उर्स के मेले में शामिल होने वाले पटना निवासी नवीन‚ वाराणसी के याेगेश‚ अमृतशर के सरदार हरप्रीत व आगरा ईशु जैन बताते हैं कि जब से बाबा भोला शाह के मजार पर आने लगे हमारे परिवार से सारे कष्ट दूर हो गए और हम लोग सुखी जीवन व्यतीत कर रहे है।
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पूरे देश में फैली है‚ बाबा भोलाबाबा शाह मजार की शाखाएं
मझौलीराज के अलावा झारखण्ड‚ पटना‚ गोपालगंज‚ रघुनाथपुर टाटा‚ मुंगेर‚ भागलपुर‚ ब्रहृमपुर छतिसगढ‚ भिलाई‚ पुर्णिया बलरामपुर में बाबा का मजार है। जिसका मुख्य दरगाह मझौलीराज स्थित बाबा भोले शाह का दरगाह है। यहां भी श्रद्धालुओं द्वारा 8 जनवरी को चादरपोशी और 27 से 29 मई को उर्स मेला का आयोजन होता है। यहां पर भाड़ी भींड़ लगती है।
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